गुरु शिव को बना लीजिए,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
कर नहीं है तो लाचार है,
है तो ताली बजा दीजिये ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु सेवा से ही ज्ञान का,
ज्योति दिल में जला लीजिये ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
शिष्य बनने से जो कुछ मिला,
दुसरो को बता दीजिए ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु शिव से न अच्छे कोई,
अगर हो तो बता दीजिए ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
कर नहीं है तो लाचार है,
है तो ताली बजा दीजिये ।
गुरु शिव को बना लीजिये,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
गुरु शिव को बना लीजिए,
भक्ति से घर सजा लीजिये ॥
हिन्दू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता की पूजा अर्चना का विधान है। कुछ ग्रंथों में इस संख्या को तैंतीस प्रकार के देवताओं के रूप में पारिभाषित किया गया है।
महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर अपने अनोखे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवजी के पांचवें अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग 6 हजार साल पुरानी मूर्ति स्थापित है।
सनातन धर्म में नदियों, पहाड़ों और पेड़ पौधों तक को देवताओं के समान पूजने की परंपरा है। यह हमारी धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है, जिसका संबंध प्रकृति प्रेम, पर्यावरण की रक्षा और ईश्वर की दी गई हर चीज के प्रति सम्मान की भावना और विज्ञान की अवधारणाओं से जुड़ा हुआ है।
धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों के दौरान हिंदू धर्म में शंख बजाना एक परंपरा है जो युगों-युगों से चली आ रही है। शंख हमारे लिए सिर्फ एक वाद्ययंत्र नहीं हमारी धार्मिक संस्कृति और प्रथाओं का हिस्सा है। यह हमारे लिए आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है।