हार गया हूँ बाबा,
अब तो आके थाम रे,
सुन सांवरे हारे का सहारा,
तेरा नाम रे ॥
दर्दी के तूने बाबा,
दर्द मिटाए,
दुखड़े गिनाऊँ कितने,
जाए ना गिनाएं,
मैंने सुना है दर पे,
मैंने सुना है दर पे,
बनते बिगड़े काम रे,
सुन सांवरे हारे का सहारा,
तेरा नाम रे ॥
काहे करे तू ऐसे,
आँख मिचोली,
हालत पे दुनिया वाले,
करते है ठिठोली,
ले लो शरण में अपनी,
ले लो शरण में अपनी,
आया तेरे धाम रे,
सुन सांवरे हारे का सहारा,
तेरा नाम रे ॥
रोता जो आया उसको,
पल में हंसाया,
‘हर्ष’ दीवाने को क्यों,
तूने बिसराया,
तेरी दया से होगा,
तेरी दया से होगा,
अब तो आराम रे,
सुन सांवरे हारे का सहारा,
तेरा नाम रे ॥
हार गया हूँ बाबा,
अब तो आके थाम रे,
सुन सांवरे हारे का सहारा,
तेरा नाम रे ॥
गृह प्रवेश पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है जो नए घर में प्रवेश करने से पहले किया जाता है। आम तौर पर जब व्यक्ति नया घर बनाता है या किसी नए स्थान पर जाता है, तो वहां की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए गृह प्रवेश पूजा की जाती है।
हिंदू धर्म में सोने और चांदी की धातुओं का विशेष महत्व है। सदियों से ये भारतीय घरों का अभिन्न हिस्सा रही हैं। भारतीय संस्कृति में सोना-चांदी को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इसके लिए वे नकद और तिजोरी की पूजा करते हैं। भारतीय परंपरा में नकद और तिजोरी धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।
हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।