Logo

है मतवाला मेरा रखवाला (Hai Matwala Mera Rakhwala)

है मतवाला मेरा रखवाला (Hai Matwala Mera Rakhwala)

है मतवाला मेरा रखवाला,

लाल लंगोटे वाला,

ये सालासर वाला,

ये मेहंदीपुर वाला,

रोम रोम राम बसाए,

जपत राम की माला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


राम काज करने अवतारे,

राम प्रभु के काज सवारे,

अंजनी पुत्र राम के प्यारे,

सीताराम ह्रदय में धारे,

वीर है बंका तोड़ी गढ़ लंका,

वीर है बंका तोड़ी गढ़ लंका,

लंक जला झट डाला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


हैं मतवाला मेरा रखवाला,

लाल लंगोटे वाला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


बाण लगा जब लक्ष्मण जी को,

पर्वत धोला लाए उठा के,

राम प्रभु को धीर बँधाए,

लक्ष्मण जी के प्राण बचाए,

पवन वेग से उड़ने वाला,

पवन वेग से उड़ने वाला,

अद्भुत रूप निराला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


हैं मतवाला मेरा रखवाला,

लाल लंगोटे वाला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


भक्त पुकारे जब कोई सच्चा,

महाबली जी करते रक्षा,

बहुत पिशाच निकट नहीं आवे,

महावीर जो नाम सुनावे,

प्रकट कृपाला दीनदयाला,

प्रकट कृपाला दीनदयाला,

जग में करे उजाला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


हैं मतवाला मेरा रखवाला,

लाल लंगोटे वाला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥


है मतवाला मेरा रखवाला,

लाल लंगोटे वाला,

ये सालासर वाला,

ये मेहंदीपुर वाला,

रोम रोम राम बसाए,

जपत राम की माला,

ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,

ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥

........................................................................................................
चतुर्मास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य

चातुर्मास यानी चौमासा में सारे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वहीं, आषाढ़ माह की आखिरी एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।

देव उठनी एकादशी पर क्या खाना चाहिए?

सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। साल में दो एकादशी बड़ी एकादशी मानी जाती है, जिसका महत्व साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर होता है।

देवउठनी एकादशी पर इन देवताओं की होती है पूजा

एकादशी व्रत आध्यात्मिक शुद्धि से संबंधित एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाई जाती है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है जो जगत के रक्षक माने जाते हैं।

भगवान के सामने क्यों जलाते हैं दीया

सनातन धर्म और उसकी परंपराएं जितनी पवित्र हैं, उतनी ही सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टि से तार्किक भी। ऐसे कई रीति-रिवाज, मान्यताएं और नियम हैं जो सनातन परंपरा का हिस्सा हैं।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang