है मतवाला मेरा रखवाला,
लाल लंगोटे वाला,
ये सालासर वाला,
ये मेहंदीपुर वाला,
रोम रोम राम बसाए,
जपत राम की माला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
राम काज करने अवतारे,
राम प्रभु के काज सवारे,
अंजनी पुत्र राम के प्यारे,
सीताराम ह्रदय में धारे,
वीर है बंका तोड़ी गढ़ लंका,
वीर है बंका तोड़ी गढ़ लंका,
लंक जला झट डाला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
हैं मतवाला मेरा रखवाला,
लाल लंगोटे वाला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
बाण लगा जब लक्ष्मण जी को,
पर्वत धोला लाए उठा के,
राम प्रभु को धीर बँधाए,
लक्ष्मण जी के प्राण बचाए,
पवन वेग से उड़ने वाला,
पवन वेग से उड़ने वाला,
अद्भुत रूप निराला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
हैं मतवाला मेरा रखवाला,
लाल लंगोटे वाला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
भक्त पुकारे जब कोई सच्चा,
महाबली जी करते रक्षा,
बहुत पिशाच निकट नहीं आवे,
महावीर जो नाम सुनावे,
प्रकट कृपाला दीनदयाला,
प्रकट कृपाला दीनदयाला,
जग में करे उजाला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
हैं मतवाला मेरा रखवाला,
लाल लंगोटे वाला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
है मतवाला मेरा रखवाला,
लाल लंगोटे वाला,
ये सालासर वाला,
ये मेहंदीपुर वाला,
रोम रोम राम बसाए,
जपत राम की माला,
ओ बाबा मेरा ये सालासर वाला,
ओ बाबा मेरा ये मेहंदीपुर वाला ॥
कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समागम है। इसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। मेले का मुख्य आकर्षण साधु संतों के अखाड़े होते है। जिनकी दिव्यता को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी। यह कुंभ मेले की शान होते है।
शैव संप्रदाय के 7 प्रमुख अखाड़े हैं। इनमें से ही एक अखाड़ा है 'आनंद अखाड़ा'। इसका पूरा नाम 'श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती’ है।
महाकुंभ की शुरुआत में अब 1 महीने का समय बचा है। लगभग सभी अखाड़े प्रयागराज भी पहुंच चुके हैं। लेकिन इन दिनों शैव संप्रदाय का एक अखाड़ा चर्चा में बना हुआ है।