नवीनतम लेख
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप,
अब उठो जगो हे आर्यवीर! उत्ताल प्रचंड समरसिन्धु समीप,
हे सुभट-विकट-विकराल-काल, प्रखर-प्रबल-शूर-शस्त्रपाणि महीप,
विश्वहृदय यह भारत-भूषित, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप,
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप ॥
सबसे न्यारा सबका प्यारा, सर्वसुमंगल सुशोभित सिंधु समीप ,
ब्रह्मर्षि दधीचि-कश्यप-गौतम, तुला-विदुर-लव्य-कायव्य कुलदीप,
गुरुकुल-गौरव रघुकुल-सौरभ, पुरुषोत्तम रामभद्र और दिलीप,
जनक-जानकी-जनजीवनधन, शुचि-सत्यशील-करुणासिंधु-सुदीप,
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप ॥
श्रुति-सती-सन्त-सम-सत्यशील, मन्वादि राजर्षि भूपति अम्बरीष,
बंग-गंग-अरु इन्दु-मानसर, लंक-वर्म-विन्ध्य-सागर-सिंधु गिरीश,
गो-गुरु-द्विज-समर्चक अर्थ-अर्जक, कामपालक मोक्षरत कालातीत,
माता-पिता-अतिथि-परिपालक, देवसमर्चक आत्मरूप कर्मातीत,
हमारा प्यारा हिंदुद्वीप, हम हैं इसके प्रहरी और प्रदीप ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।