हनुमत के गुण गाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो,
राह में आए जो कोई दुखी,
किरपा सभी पे बहाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो ॥
सारी दुनिया ने ठुकराया,
द्वार पे अर्जी लगाया,
चारों ओर अँधेरा छाया,
तब मैंने तुझको बुलाया,
आशा के दीप जलाते चलो,
किरपा सभी पे बहाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो ॥
भक्तों के हो तुम प्रतिपाला,
संकट मोचन बाला,
गल वैजन्ती माला सुन्दर,
लाल लंगोटे वाला,
सारे जग में है तेरा ही नाम,
किरपा सभी पे बहाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो ॥
चारों ओर है सिर्फ निराशा,
केवल तेरी ही आशा,
मैंने जब जब तुझको पुकारा,
तेरी शरण ही सहारा,
ध्यान लगा के रटते चलो,
किरपा सभी पे बहाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो ॥
हनुमत के गुण गाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो,
राह में आए जो कोई दुखी,
किरपा सभी पे बहाते चलो,
प्रेम की श्रद्धा बहाते चलो ॥
सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी प्रमुख रूप से भगवान गणेश जी को समर्पित है। यह प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हर वर्ष अखुरथ संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। दृक पंचांग के अनुसार दिसंबर माह के 18 तारीख को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।
भारत की पवित्र नदियों में से एक यमुना नदी है और इसे हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है। यमुना नदी उत्तराखंड के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और प्रयागराज में गंगा नदी में मिल जाती है।
गोदावरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा माना जाता है। गोदावरी को पवित्र नदी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके जल में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध होता है।