हर ग्यारस खाटू में अमृत जो बरसता है (Har Gyaras Khatu Me Amrit Jo Barasta Hai)

हर ग्यारस खाटू में,

अमृत जो बरसता है,

उस अमृत को पीने,

हर भक्त पहुँचता है,

हर ग्यारस खाटु में,

अमृत जो बरसता है ॥


यहाँ भजनों की गंगा,

अमृत सी बहती है,

सबके दिल की बातें,

बाबा से कहती है,

इन बूंदों को पीकर,

हर भक्त थिरकता है,

उस अमृत को पीने,

हर भक्त पहुँचता है,

हर ग्यारस खाटु में,

अमृत जो बरसता है ॥


भजनों की ये बुँदे,

जब कान में पड़ जाए,

हर प्रेमी बाबा का,

मेरे श्याम से जुड़ जाए,

फिर होश रहे ना उसे,

हँसता है सिसकता है,

उस अमृत को पीने,

हर भक्त पहुँचता है,

हर ग्यारस खाटु में,

अमृत जो बरसता है ॥


ये भजनों की गंगा,

हमें श्याम से मिलवाए,

यहाँ डुबकी लगाने को,

मेरा श्याम चला आए,

अमृत ये भजनों का,

जब जब भी छलकता है,

उस अमृत को पीने,

हर भक्त पहुँचता है,

हर ग्यारस खाटु में,

अमृत जो बरसता है ॥


इस अमृत में प्यारे,

तुम जहर नहीं घोलो,

कहता ‘रोमी’ तोलो,

तुम तोल के फिर बोलो,

इसे पावन रहने दो,

विश्वास भटकता है,

उस अमृत को पीने,

हर भक्त पहुँचता है,

हर ग्यारस खाटु में,

अमृत जो बरसता है ॥


हर ग्यारस खाटू में,

अमृत जो बरसता है,

उस अमृत को पीने,

हर भक्त पहुँचता है,

हर ग्यारस खाटु में,

अमृत जो बरसता है ॥

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आये है दिन सावन के (Aaye Hain Din Sawan Ke)

आये है दिन सावन के,
गंगा जल से भर के गगरिया,

मासिक शिवरात्रि: भगवान शिव नमस्काराथा मंत्र

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मां के दिल जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं

दिल दिल दिल दिल दिल..माँ का दिल
दिल दिल दिल..माँ का दिल दिल दिल

अरे माखन की चोरी छोड़ साँवरे मैं समझाऊँ तोय (Are Makhan Ki Chori Chhod Sanvare Main Samjhau Toye)

अरे माखन की चोरी छोड़,
साँवरे मैं समझाऊँ तोय,

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