हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ।
अब तो जीवन हारे, प्रभु शरण हैं तिहारे ॥
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे... हे गोविंद ॥
नीर पिवन हेतु गयो सिन्धू के किनारे,
सिन्धु बीच बसत ग्राह चरण धरि पछारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
चार पहर युद्ध भयो ले गयो मझधारे,
नाक कान डूबन लागे कृष्ण को पुकारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
द्वारिका में शब्द गयो शोर भयो द्वारे,
शंख चक्र गदा पद्म गरुड़ तजि सिधारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
सूर कहे श्याम सुनो शरण हैं तिहारे,
अबकी बेर पार करो नन्द के दुलारे,
हे गोविन्द हे गोपाल अब तो जीवन हारे ॥
॥ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॥
धनतेरस में खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए राशिनुसार कुछ विशेष वस्तुएं खरीदना अत्यंत शुभ होता है।
धनतेरस का पर्व धन, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। इस दिन यम नियम से वस्तुएं खरीदने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य और ऐश्वर्य निवास करता है।
भारत में धनतेरस, जिसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत मानी जाती है। इस वर्ष यह दिन आज यानी 29 अक्टूबर (मंगलवार) को है।
“धनतेरस”, पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की त्रयोदशी को मनाया जाता है। कई स्थानों पर इस दिन को धनत्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है।