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हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली (Hey Bholenath Teri Mahima Nirali)

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली (Hey Bholenath Teri Mahima Nirali)

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली,

जाने वो जिस ने तेरी लगन लगाली,

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली ।


तेरी शरण में जो भी आया,

उसको मिली तेरी करुना की छाया,

बिन मांगे वो सब कुछ पा ले,

जिसने तेरा ध्यान लगाया,

तेरा वचन कभी जाये न खाली,

तेरा वचन कभी जाये न खाली,

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली ।


संकट मोचन हे जग दाता,

तू है सभी का भाग्यविधाता,

ये श्रिष्टि परिवार है तेरा

जन जन से है तेरा नाता,

जग बगिया है तू है माली,

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली ।


शम्भू तेरे खेल निराले,

तेरा लिखा न कोई टाले,

भक्तजनो को अमृत बाँटे,

और खुद पीता विष के प्याले,

तेरी छवि मैंने मन में वसा ली,

तेरी छवि मैंने मन में वसा ली,

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली ।


हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली,

जाने वो जिस ने तेरी लगन लगाली,

हे भोले नाथ तेरी महिमा निराली ।

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गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

गोवर्धन पूजा पर क्यों होता है अन्नकूट

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।

गोवर्धन पूजा की संपूर्ण कथा

दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतीक स्वरूप पूजा-अर्चना करने का विधान है।

कैसे हुई भाई दूज मनाने की शुरुआत

पांच दिवसीय दीपावली त्योहार का समापन भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।

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