हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
अष्ट सिद्धि, नव निधि के दाता,
दुखिओं के तुम भाग्यविधाता ।
सियाराम के काज सवारे,
मेरा करो उद्धार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
अपरम्पार है शक्ति तुम्हारी,
तुम पर रीझे अवधबिहारी ।
भक्तिभाव से ध्याऊं तोहे,
कर दुखों से पार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
जपूँ निरंतर नाम तिहरा,
अब नहीं छोडूं तेरा द्वारा ।
रामभक्त मोहे शरण मे लीजे,
भाव सागर से तार ॥
पवनसुत विनती बारम्बार ।
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
हे दुःख भन्जन, मारुती नंदन,
सुन लो मेरी पुकार ।
पवनसुत विनती बारम्बार ॥
बुहा खोल के माये,
जरा तक ते ले,
मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाने वाली काल भैरव जयंती भगवान शिव के पांचवें रूद्र अवतार काल भैरव की उपासना का दिन है।
आओ गजानंद प्यारा,
बेगा पधारो गणपति जी,
गजानंद जी ने,
ल्यावो रे मनाय,