हे गजानन पधारो (Hey Gajanan Padharo)

सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,

विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गजानन पधारो गौरी लाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


महिमा है अतिभारी चार भुजा धारी,

एकदंत दयावंत न्यारी मूषक सवारी,

गल मोतियन की माला साजे,

चन्दन चौकी देव विराजे,

केसर तिलक सोहे भाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


शम्भू दियो वरदान देवो में देवा महान,

पहले तुम्हरो ही ध्यान तुम्हरो ही गुणगान,

पान पुष्प से तुमको रुझावे,

मनवांछित फल सो जन पावे,

ले लड्डूवन की थाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


सभी विघ्न हरो जी दूर संकट करो जी,

झोली सुख से भरो जी हाथ सिर पे धरो जी,

दास ‘सरल’ को आसरा तेरा,

कंठ में हो सरस्वती बसेरा,

दीजो स्वर और ताल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥


सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,

विघ्नहरण सुखपाल जी,

हे गजानन पधारो गौरी लाल जी,

हे गजानन पधारों गौरी लाल जी ॥

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मैली चादर ओढ़ के कैसे - भजन (Maili Chadar Odh Ke Kaise)

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,

तेरे दरबार मे मैया खुशी मिलती है (Tere Darbar Mein Maiya Khushi Milti Hai)

तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे ॥

उत्पन्ना एकादशी का चालीसा

उत्पन्ना एकादशी सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन मां एकादशी का जन्म हुआ था।

हम वन के वासी, नगर जगाने आए (Hum Van Ke Vaasi Nagar Jagane Aaye)

हम वन के वासी,
नगर जगाने आए ॥

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