हे कृष्ण गोपाल हरि हे दीन दयाल हरि (Hey Krishna Gopal Hari He Deen Dayal Hari)

हे कृष्ण गोपाल हरि,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


तुम करता तुम ही कारण,

परम कृपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


रथ हाके रणभूमि में,

और कर्म योग के मर्म बताये,

अजर अमर है परम तत्व यूँ,

काया के सुख दुःख समझाये,

सखा सारथी शरणागत के,

सदा प्रितपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


श्याम के रंग में रंग गयी मीरा,

रस ख़ान तो रस की ख़ान हुई,

जग से आखे बंद करी तो,

सुरदास ने दरस किये,

मात यशोदा ब्रज नारी के,

माखन चोर हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥


हे कृष्ण गोपाल हरि,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि,

हे कृष्ण गोपाल हरी,

हे दीन दयाल हरि ॥

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छोटी-छोटी कन्याएं(Maa Choti Choti Kanyaen)

देखी तेरे दरबार माँ,
छोटी-छोटी कन्याएं ।

आयो फागण को त्यौहार (Aayo Fagan Ko Tyohar)

आयो फागण को त्यौहार,
नाचे ठुमक ठुमक दातार,

मन नो मोरलियो रटे(Man No Moraliyo Rate )

मन नो मोरलियो,
रटे तारु नाम,

श्री शाकम्भरी चालीसा (Shri Shakambhari Chalisa)

बन्दउ माँ शाकम्भरी, चरणगुरू का धरकर ध्यान ।
शाकम्भरी माँ चालीसा का, करे प्रख्यान ॥

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