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हे रोम रोम मे बसने वाले राम(Hey Rom Rom Main Basne Wale Ram)

हे रोम रोम मे बसने वाले राम(Hey Rom Rom Main Basne Wale Ram)

हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


आप का बंधन तोड़ चुकी हूँ ,

तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूँ ।

नाथ मेरे मै, क्यूं कुछ सोचूं,

तू जाने तेरा काम॥

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।

हे रोम रोम मे बसने वाले राम ॥


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


तेरे चरण की धुल जो पायें,

वो कंकर हीरा हो जाएँ ।

भाग्य मेरे जो, मैंने पाया,

इन चरणों मे ध्यान ॥

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


भेद तेरा कोई क्या पहचाने,

जो तुझ सा को वो तुझे जाने ।

तेरे किये को, हम क्या देवे,

भले बुरे का नाम ॥

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।


हे रोम रोम मे बसने वाले राम,

जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,

मे तुझ से क्या माँगू ।

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आज राम मेरे घर आए (Aaj Ram Mere Ghar Aaye)

आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है (Aaj Somwar Hai Ye Shiv Ka Darbar Hai)

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,

आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है (Aaj To Guruwar hai, Sadguru Ka War Hai)

आज तो गुरुवार है, सदगुरुजी का वार है।
गुरुभक्ति का पी लो प्याला, पल में बेड़ा पार है ॥

अहोई अष्टमी का महत्व और मुहूर्त

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। यह व्रत माताओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन माताएं अपने पुत्रों की कुशलता और उज्ज्वल भविष्य की कामना के लिए निर्जला व्रत करती हैं।

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