हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
आप का बंधन तोड़ चुकी हूँ ,
तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूँ ।
नाथ मेरे मै, क्यूं कुछ सोचूं,
तू जाने तेरा काम॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
हे रोम रोम मे बसने वाले राम ॥
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
तेरे चरण की धुल जो पायें,
वो कंकर हीरा हो जाएँ ।
भाग्य मेरे जो, मैंने पाया,
इन चरणों मे ध्यान ॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
भेद तेरा कोई क्या पहचाने,
जो तुझ सा को वो तुझे जाने ।
तेरे किये को, हम क्या देवे,
भले बुरे का नाम ॥
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी,
मे तुझ से क्या माँगू ।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत कथा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।
भगवान कार्तिकेय का मिलेगा आशीर्वाद, स्कंद षष्ठी के दिन इस तरह से करें पूजा
हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। इस दिन विशेष उपाय करने से जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं कुछ प्रभावी उपाय...
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।