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होता है सारे विश्व का, कल्याण यज्ञ से (Hota Hai Sare Vishwa Ka Kalyan Yajya Se)

होता है सारे विश्व का, कल्याण यज्ञ से (Hota Hai Sare Vishwa Ka Kalyan Yajya Se)

होता है सारे विश्व का,

कल्याण यज्ञ से ।

जल्दी प्रसन्न होते हैं,

भगवान् यज्ञ से ॥


ऋषियों ने ऊँचा माना है,

स्थान यज्ञ का ।

भगवान् का यह यज्ञ है,

भगवान यज्ञ का ।

जाता है देवलोक में,

इन्सान यज्ञ से ॥

होता है सारे विश्व का,

कल्याण यज्ञ से ।


जो कुछ भी डालो यज्ञ में,

खाते हैं अग्निदेव ।

एक-एक के बदले सौ-सौ,

दिलाते हैं अग्निदेव ।

पैदा अनाज करते हैं,

भगवान् यज्ञ से ॥

होता है सारे विश्व का,

कल्याण यज्ञ से ।


होता है कन्यादान भी,

इसके ही सामने ।

पूजा है इसको कृष्ण ने,

भगवान् राम ने ।

मिलती है राजकीर्ति,

व सन्तान यज्ञ से ॥

होता है सारे विश्व का,

कल्याण यज्ञ से ।


इसका पुजारी कोई,

पराजित नहीं होता ।

इसके पुजारी को कोई भी,

भय नहीं होता ।

होती है सारी मुश्किलें,

आसान यज्ञ से ॥

होता है सारे विश्व का,

कल्याण यज्ञ से ।


चाहे अमीर हो कोई,

चाहे गरीब है ।

जो नित्य यज्ञ करता है,

वह खुश नसीब है ।

उपकारी मनुज बनता है,

देवयज्ञ से ॥

होता है सारे विश्व का,

कल्याण यज्ञ से ।


॥मुक्तक॥

यज्ञ पिता हैं सुर-संस्कृति के,

यज्ञ सृष्टिï के निर्माता हैं ।

इसीलिए हर संस्कार में,

आवश्यक समझा जाता है ॥

देवशक्तियाँ यज्ञदेव,

द्वारा ही तो प्रसन्न होती हैं ।

जीवन, प्राण, धान्य, समृद्धि, यश,

वैभव होता है॥

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Choti Holi 2025 (छोटी होली 2025 कब है)

होली भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे रंगों और उत्साह के साथ मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन कहा जाता है।

छोटी होली कथा

होली से एक दिन पहले मनाई जाने वाली छोटी होली को होलिका दहन के रूप में जाना जाता है। यह पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और भक्त प्रह्लाद तथा होलिका की कथा से जुड़ा हुआ है।

मार्च में 7 तारीख के बाद नहींं होंगे मांगलिक कार्य

होलिका दहन से पहले 8 दिन होलाष्टक तिथि लगती है जिसमें कोई मांगलिक कार्य नहीं होता है। पुराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि यह समय भक्त प्रह्लाद पर किए गए अत्याचारों को दर्शाता है।

बरसाने की लट्ठमार होली

बरसाने में हर साल लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाई जाती है। इस साल 2025 में यह त्योहार 8 मार्च को मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ राधारानी से भेंट करने के लिए बरसाना गए, और वहां जाकर राधारानी और उनकी सखियों को छेड़ने लगे।

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