हम हाथ उठा कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,
हम शीश झुका कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के ॥
हम हो गए शंकर बाबा के
हम हो गए भोलें बाबा के
हम हाथ उठा कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,
कोई तुमसा ना भोलाभाला है
सारे जग का तू रख वाला है
हम हाथ उठा कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,
जयकरा लगा कर कहते है
हम हो गए शंकर बाबा के
हम कल थे शंकर बाबा के,
हम आज भी शंकर बाबा के,
हम हाथ उठा कर कहते है
सदा रहेगे शंकर बाबा के,
सारी मोहमाया को छोड़ दिया,
बस तुमसे नाता जोड़ लिया,
सर ऊँचा करके कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,
हम हाथ उठा कर कहतें है ॥
हम हाथ उठा कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के,
हम शीश झुका कर कहते है,
हम हो गए शंकर बाबा के ॥
नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु के सिंह अवतार की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह रूप में अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया था।
एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार जब प्रह्लाद भगवान विष्णु की स्तुति गाने के लिए अपने पिता हिरण्यकश्यप के सामने अड़ गए, तो हिरण्यकश्यप ने भगवान हरि के भक्त प्रह्लाद को आठ दिनों तक यातनाएं दीं।
होलाष्टक का सबसे महत्वपूर्ण कारण हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। खुद को भगवान मानने वाला हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रह्लाद की भक्ति से नाराज था।
हिंदू पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से पहले आठ दिनों की एक विशेष अवधि है, जो फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक चलती है। इस अवधि के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।