हम को मन की शक्ति देना (Hum Ko Mann Ki Shakti Dena)

हम को मन की शक्ति देना,

मन विजय करें ।

दूसरों की जय से पहले,

खुद को जय करें ।


भेदभाव अपने दिल से,

साफ कर सकें ।

दोस्तों से भूल हो तो,

माफ कर सकें ।

झूठ से बचे रहें,

सच का दम भरें ।

दूसरों की जय से पहले,

खुद को जय करें ।


हम को मन की शक्ति देना,

मन विजय करें ।

दूसरों की जय से पहले,

खुद को जय करें ।


मुश्किलें पड़े तो हम पे,

इतना कर्म कर ।

साथ दे तो धर्म का,

चलें तो धर्म पर ।

खुद पे हौसला रहे,

बदी से ना डरें ।

दूसरों की जय से पहले,

खुद को जय करें ।


हम को मन की शक्ति देना,

मन विजय करें ।

दूसरों की जय से पहले,

खुद को जय करें ।


हम को मन की शक्ति देना,

मन विजय करें ।

दूसरों की जय से पहले,

खुद को जय करें ।

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रुक्मिणी अष्टमी की कथा

पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। देवी रुक्मिणी मां लक्ष्मी का अवतार मानी जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं।

बनाएगा मेरी बिगड़ी, मेरा भोला शंकर: भजन (Banayega Meri Bigadi Bhola Shankar)

तेरी दया तेरा साया,
सदा रहता मुझ पर,

शुरू हो रही है राम कहानी - भजन (Shuru Ho Rahi Hai Ram Kahani)

शुरू हो रही है राम कहानी,
शुरू हो रही हैं राम कहानी,

आओ आ जाओ भोलेनाथ (Aao Aa Jao Bholenath)

आओ आ जाओ भोलेनाथ,
तेरे ख़यालों में खोया रहूं मैं,

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