हम नैन बिछाए है,
हे गणपति आ जाओ ॥
गणपति तुम हो बड़े दयालु,
किरपा कर दो हे किरपालु,
हर सांस बुलाए है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए ,
हे गणपति आ जाओ ॥
पाप की गठरी सर पे भारी,
हम को है बस आस तुम्हारी,
बड़ा मन घबराए है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए है,
हे गणपति आ जाओ ॥
जग से हमने तोडा नाता,
गणपति तुमसे जोड़ा नाता,
तुझे नैना निहारे है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए हैं,
हे गणपति आ जाओ ॥
माथे पर सिंदूर है प्यारा,
पीताम्बर है तन पर धारा,
सब आस लगाए है,
हे गणपति आ जाओ,
हम नैन बिछाए हैं,
हे गणपति आ जाओ ॥
प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत अपने विशेष महत्व के लिए ही जाने जाते हैं। पर साल 2024 में पौष माह के प्रदोष व्रत को ख़ास माना जा रहा है।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और शनिदेव के आराधना के लिए समर्पित होता है। शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आने वाले इस व्रत में शिवलिंग की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। पर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने पर उसे शनि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।
सर पे चुनरिया लाल,
और हाथों में मेहंदी रचाई है,