हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
मेरे नयनो के तारे है ।
सारे जग के रखवाले है ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
एक भरोसो एक बल,
एक आस विश्वास ।
एक राम घनश्याम हित,
जातक तुलसी दास ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
जो लाखो पापियों को तारे है ।
जो अधमन को उद्धारे है ।
हम उनकी शरण पधारे है ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
शरणागत आर्त निवारे है ।
हम इनके सदा सहारे है ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
गणिका और गिद्ध उद्धारे है ।
हम खड़े उन्हीके के द्वारे है ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं।
महाकुंभ की शुरुआत में अब 1 महीने का समय बचा है। लगभग सभी अखाड़े प्रयागराज भी पहुंच चुके हैं। लेकिन इन दिनों शैव संप्रदाय का एक अखाड़ा चर्चा में बना हुआ है।
हवन की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है। अग्नि को देवताओं का प्रतीक मानते हुए, हवन या यज्ञ के माध्यम से ईश्वर की उपासना की जाती है।
हिंदू धर्म के 13 अखाड़ों में निरंजनी अखाड़ा प्रमुखता से जाना जाता है । शैव संप्रदाय का यह अखाड़ा साधु संतों की संख्या में दूसरे नंबर पर आता है। इसकी खास बात है कि यहां के 70 फीसदी से ज्यादा संत डिग्रीधारक होते है। कोई डॉक्टर होता है, तो कोई इंजीनियर, तो कोई प्रोफेसर।
कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम है। इस समागम की शोभा अखाड़े बढ़ाते है, जो साधु संतों के संगठन होते है। इन्ही में से एक है श्री पंचायती अटल अखाड़ा। शैव संप्रदाय के इस अखाड़े की जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। इसे हिंदू धर्म का पहला अखाड़ा भी कहा जाता है।