हम तुम्हारे तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे,
जान से प्यारे हमें,
जान से प्यारे हमें,
लगने लगे हो सांवरे,
हम तुम्हारें तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे ॥
जब से देखा है तुम्हे,
दिल को कोई जंचता नहीं,
लाख समझाया इसे पर,
दिल तेरे बिन लगता नहीं,
इस कदर रग रग में मेरी,
इस कदर रग रग में मेरी,
बस गए हो सांवरे,
हम तुम्हारें तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे ॥
बिन तुम्हारे इस जहा में,
और कुछ भाता नहीं,
बिन तुम्हें देखे कन्हैया,
चैन अब आता नहीं,
जाने कैसा जादू मुझ पर,
कर गए हो सांवरे,
हम तुम्हारें तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे ॥
लग गई जो प्रीत दिल की,
अब छुड़ाए छूटे ना,
बांधी ऐसी प्रीत तुम संग,
अब कभी ये टूटे ना,
ऐसे मन मंदिर में मेरे,
बस गए हो सांवरे,
हम तुम्हारें तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे ॥
हम तुम्हारे तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे,
जान से प्यारे हमें,
जान से प्यारे हमें,
लगने लगे हो सांवरे,
हम तुम्हारें तुम हमारे,
बन गए हो सांवरे ॥
कुम्भ मेला एक ऐसा अवसर है जब श्रद्धालु पुण्य अर्जित करने के लिए संगम स्नान, दान और ध्यान करते हैं। इस पवित्र अवसर पर यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है कि हम कोई ऐसा कार्य न करें जिससे पाप का अर्जन हो जाए।
इस साल, 13 जनवरी से 27 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु और साधु-संत संगम के तट पर एकत्रित होंगे, जहां पवित्र गंगा, यमुना और संगम के जल में स्नान करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
महाकुंभ का मेला हर बार अपार श्रद्धा और धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता है। विशेष पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति के साथ, यह स्नान जीवन को नई दिशा और शांति प्रदान करता है।
अब वह समय नजदीक है, जब प्रयागराज के संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते संतों के संग सैकड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते दिखाई देंगे। यह दृश्य लगभग 13 जनवरी से देखने को मिलेगा, जब महाकुंभ मेला शुरू होगा।