इस योग्य हम कहाँ हैं
इस योग्य हम कहाँ हैं,
गुरुवर तुम्हें रिझायें ।
फिर भी मना रहे हैं,
शायद तु मान जाये ॥
जब से जनम लिया है,
विषयों ने हमको घेरा ।
छल और कपट ने डाला,
इस भोले मन पे डेरा ॥
सद्बुद्धि को अहं ने,
हरदम रखा दबाये ॥
निश्चय ही हम पतित हैं,
लोभी हैं लालची हैं ।
तेरा ध्यान जब लगायें,
माया पुकारती है ॥
सुख भोगने की इच्छा,
कभी तृप्त हो न पाये ॥
जग में जहाँ भी जायें,
बस एक ही चलन है ।
एक- दूसरे के सुख में,
खुद को बड़ी जलन है ॥
कर्मों का लेखा जोखा,
कोई समझ न पाये ॥
जब कुछ न कर सके तो,
तेरी शरण में आये ।
अपराध मानते हैं,
झेलते सब सजायें ॥
अब ज्ञान हम को दे दो,
कुछ और हम ना चाहें ॥
महाशिवरात्रि, हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर, प्रत्येक हिंदू घर में उत्साह और श्रद्धा का वातावरण होता है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से व्रत रखते हैं और चारों पहर में भगवान शिव की आराधना करते हैं।
शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ ज्योति का रूप धारण किया।
महाशिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित होता है और धूमधाम से मनाया जाता है।