इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाये(Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)

इस योग्य हम कहाँ हैं

इस योग्य हम कहाँ हैं,

गुरुवर तुम्हें रिझायें ।

फिर भी मना रहे हैं,

शायद तु मान जाये ॥


जब से जनम लिया है,

विषयों ने हमको घेरा ।

छल और कपट ने डाला,

इस भोले मन पे डेरा ॥

सद्बुद्धि को अहं ने,

हरदम रखा दबाये ॥


निश्चय ही हम पतित हैं,

लोभी हैं लालची हैं ।

तेरा ध्यान जब लगायें,

माया पुकारती है ॥

सुख भोगने की इच्छा,

कभी तृप्त हो न पाये ॥


जग में जहाँ भी जायें,

बस एक ही चलन है ।

एक- दूसरे के सुख में,

खुद को बड़ी जलन है ॥

कर्मों का लेखा जोखा,

कोई समझ न पाये ॥


जब कुछ न कर सके तो,

तेरी शरण में आये ।

अपराध मानते हैं,

झेलते सब सजायें ॥

अब ज्ञान हम को दे दो,

कुछ और हम ना चाहें ॥

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जिनके हृदय हरि नाम बसे(Jinke Hriday Hari Naam Base)

जिनके हृदय हरि नाम बसे,
तिन और का नाम लिया ना लिया ।

प्रदोष व्रत और इसके प्रकार

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र व्रत है। इसे भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है और प्रत्येक वार पर आने वाले प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व और फल है।

जय जय श्री महाकाल (Jai Jai Shri Mahakal)

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे (Bandha Tha Draupadi Ne Tumhe Char Taar Main)

बाँधा था द्रौपदी ने तुम्हे,
चार तार में ।

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