इतनी किरपा सांवरे बनाये रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
इतनी किरपा सांवरे ॥
मैं तेरा तू मेरा बाबा,
मैं राजी तू राजी,
तेरे नाम पे लिख दी मैंने,
इस जीवन की बाजी,
लाज तुम्हारे हाथ है बचाए रखना,
लाज तुम्हारे हाथ है बचाए रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
इतनी किरपा सांवरे ॥
हाथ जोड़ मैं करूँ प्रार्थना,
भूल कभी ना जाना,
तेरे दर पे बना रहे बस,
मेरा आना जाना,
दिन पे दिन ये सिलसिला बढ़ाये रखना,
दिन पे दिन ये सिलसिला बढ़ाये रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
इतनी किरपा सांवरे ॥
तेरे प्रेमियों में मन लगता,
और कही ना लागे,
फीका फीका ये जग सारा,
भजन भाव के आगे,
भजनों की इस भूख को जगाए रखना,
भजनों की इस भूख को जगाए रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
इतनी किरपा सांवरे ॥
जनम जनम तक तेरा मेरा,
साथ कभी ना छूटे,
टूट जाए साँसों की लड़िया,
तार कभी ना टूटे,
गोदी में इस ‘बिन्नू’ को बिठाए रखना,
गोदी में इस ‘बिन्नू’ को बिठाए रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
इतनी किरपा सांवरे ॥
इतनी किरपा सांवरे बनाये रखना,
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,
इतनी किरपा सांवरे ॥
बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस साल 8 मार्च को पड़ रही है। यह त्योहार राधा-कृष्ण के प्रेम की लीलाओं को दर्शाता है।
होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।
बरसाना और नंदगांव की होली विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यह होली श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ी हुई है। बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।
होली फेस्टिवल होलिका दहन के एक दिन बाद मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष अर्थ है। बता दें कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और कई लोग होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जानते है।