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जबलपुर में काली विराजी है(Jabalpur Mein Kali Viraji Hai)

जबलपुर में काली विराजी है(Jabalpur Mein Kali Viraji Hai)

जबलपुर में काली विराजी है,

तरसे मोरी अंखियां,

दे दर्शन इस लाल को,

जो आऊं तोरि दुअरिया ॥


अरे भगतन खो दर्शन देबे ले लाने,

गढ़ा फाटक में देवी दिखानी है,

जबलपुर में काली विराजी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे रोगी खों काया,

निर्धन खो माया,

देती मात भवानी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे दानव दलन करे,

दुष्टों खों मारे,

ऐसी मां कल्याणी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे तू ही शारदा,

तू ही भवानी,

तू जग की रखवाली है,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे हाथ जोर सब,

अर्जी लगावें,

द्वारे पे सब नर नारी हैं,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥


अरे भगतन खो दर्शन देबे ले लाने,

गढ़ा फाटक में देवी दिखानी है,

जबलपुर में काली विराजी हैं,

जबलपुर में काली विराजी हैं ॥

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चैती छठ के लिए सावधानियां

छठ को भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। छठ का महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार छठ का महापर्व चैत्र महीने में मनाया जाता है जबकि दूसरी बार यह महापर्व कार्तिक महीने में मनाया जाता है।

नवरात्रि पूजा में लहसुन और प्याज वर्जित होने की कथा

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान भक्त विशेष रूप से उपवास रखते हैं और धार्मिक अनुशासन का पालन करते हैं।

चैती छठ और कार्तिक छठ में अंतर

छठ का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस त्योहार का खास महत्व है। छठ का महापर्व छठी माता और सूर्य देव को समर्पित है।

छठ 2 बार क्यों मनाई जाती है

चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पर्व को 'चैती छठ' और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले पर्व को 'कार्तिकी छठ' कहा जाता है। ये पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

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