जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
माखन ब्रज में एक चुरावे,
एक बेर भिलनी के खावे ।
प्रेम भाव से भरे अनोखे,
दोनों के हैं काम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
एक ह्रदय में प्रेम बढ़ावे,
एक ताप संताप मिटावे ।
दोनों सुख के सागर हैं,
और दोनों पूरण काम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
एक कंस पापी को मारे,
एक दुष्ट रावण संहारे ।
दोनों दीन के दुःख हरत हैं,
दोनों बल के धाम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
एक राधिका के संग राजे,
एक जानकी संग बिराजे ।
चाहे सीता-राम कहो,
या बोलो राधे-श्याम ॥
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।
बोलो राम राम राम,
बोलो श्याम श्याम श्याम ॥
महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित बाबा काल भैरव मंदिर अपने अनोखे चमत्कार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शिवजी के पांचवें अवतार कहे जाने वाले काल भैरव की लगभग 6 हजार साल पुरानी मूर्ति स्थापित है।
सनातन धर्म में नदियों, पहाड़ों और पेड़ पौधों तक को देवताओं के समान पूजने की परंपरा है। यह हमारी धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है, जिसका संबंध प्रकृति प्रेम, पर्यावरण की रक्षा और ईश्वर की दी गई हर चीज के प्रति सम्मान की भावना और विज्ञान की अवधारणाओं से जुड़ा हुआ है।
धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों के दौरान हिंदू धर्म में शंख बजाना एक परंपरा है जो युगों-युगों से चली आ रही है। शंख हमारे लिए सिर्फ एक वाद्ययंत्र नहीं हमारी धार्मिक संस्कृति और प्रथाओं का हिस्सा है। यह हमारे लिए आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है।
कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अदम्य शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह महोत्सव ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है। बल्कि, यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।