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जगदीश ज्ञान दाता(Jagadish Gyan Data: Prarthana)

जगदीश ज्ञान दाता(Jagadish Gyan Data: Prarthana)

जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी ।

भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥


सब काल सर्व ज्ञाता, सविता पिता विधाता ।

सब में रमे हुए हो, विश्व के बिहारी ॥


कर दो बलिष्ठ आत्मा, घबरायें न दुःखों से ।

कठिनाइयों का जिससे, तर जायें सिन्धु भारी ॥


निश्चय दया करोगे, हम मांगते यही हैं ।

हमको मिले स्वयम् ही, उठने की शक्ति सारी ॥


जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी ।

भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥

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काल क्या करेगा महाकाल के आगे (Kaal Kya Karega Mahakal Ke Aage)

कर लूँगा दो-दो बात मैं,
उस काल के आगे,

झोली भर लो भक्तो, दौलत बरसे भोले के दरबार (Jholi Bharlo Bhakto Daulat Barse Bhole Ke Darbar)

झोली भर लो भक्तो
दौलत बरसे भोले के दरबार,

झूम उठा दिल देख नजारा, उस सालासर धाम का(Jhoom Utha Dil Dekho Nazara Us Salasar Dham Ka)

झूम उठा दिल देख नजारा,
उस सालासर धाम का,

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