जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
तेल चमेली चन्दन साबुन,
तेल चमेली चन्दन साबुन,
चाहे लगालो सेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट ॥
आवागमन लगा दुनिया में,
जगत है रेस्टोरेंट,
रे प्यारे जगत है रेस्टोरेंट,
अंत समय में उड़ जाएंगे,
अंत समय में उड़ जाएंगे,
तेरे तम्बू टेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट ॥
राष्ट्रपति हो कर्नल जनरल,
या हो लेफ्टिनेंट,
रे प्यारे या हो लेफ्टिनेंट,
काल सभी को खा जाएगा,
काल सभी को खा जाएगा,
लेडीज हो या जेंट्स,
जगत में कोईं ना परमानेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट ॥
हरिद्वार चाहे, काशी मथुरा*,
घूमो दिल्ली केंट,
रे प्यारे घूमो दिल्ली केंट,
मन में नाम प्रभु का राखो,
मन में नाम प्रभु का राखो,
धोती पहनो या पेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट ॥
साधू संत की संगत करलो ,
ये सच्ची गोरमेंट,
रे प्यारे ये सच्ची गोरमेंट,
लाल सिंह कहे इस दफ्तर से,
'लाल सिंह' कहे इस दफ्तर से’,
मत होना एब्सेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट ॥
जगत में कोई ना परमानेंट,
जगत में कोई ना परमानेंट,
तेल चमेली चन्दन साबुन,
तेल चमेली चन्दन साबुन,
चाहे लगालो सेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट,
जगत में कोईं ना परमानेंट ॥
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नवरात्रि के नौवें दिन को महानवमी कहा जाता है। इस सभी प्रकार की सिद्धियों की दात्री, मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। इस दिन माता के भक्त विशेष पूजा विधि के साथ मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही इस दिन कन्या पूजन और हवन का भी विशेष आयोजन होता है। इस माध्यम से भक्त अपने जीवन में सफलता, शांति, और समृद्धि की कामना और प्राप्ति करते हैं।
माता के सप्तम स्वरूप के रूप में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इनकी पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है। माता के कालरात्रि पूजा की नवरात्रि की सप्तमी तिथि को की जाती है, इस दिन घरों में अपने अपने कुल देवी-देवता की पूजन होती है और साथ ही ये दिन सप्त मातृकाओं की पूजा का भी है।