जहाँ आसमां झुके जमीं पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥
इक तिरकुट पर्वत प्यारा,
जहाँ पे भवन विशाल,
गुफा बनी एक सुन्दर सी,
बजे घंटे घड़ियाल,
स्वर्ग सा सुख वहां,
नहीं कोई दुःख वहां,
बराबर मिलता है सबको,
भिखारी हो या कोई राजा,
जहाँ आसमां झुके जमी पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥
पवन छेड़ती है यहाँ,
मधु सा मधुर संगीत,
जहां पे झरने गाते है,
प्रीत के प्यारे गीत,
दिल में रस घोलती,
वादियाँ बोलती,
नहीं धरती पे कही ऐसा,
नजारा हमने है पाया,
जहाँ आसमां झुके जमी पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥
वही पे ‘लख्खा’ हो गया,
निर्धन से धनवान,
धन दौलत शोहरत मिली,
और पाया सम्मान,
वही एक द्वार है,
सुख का संसार है,
मांगले बेधड़क दिल से,
भवानी बाँट रही सबको,
जहाँ आसमां झुके जमी पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥
जहाँ आसमां झुके जमीं पर,
सर झुकता संसार का,
वही पे देखा हमने जलवा,
माँ तेरे दरबार का ॥
दीपावली का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन बिहार और यूपी के गांवों में इसे मनाने का एक अनूठा तरीका है। यहां दीपावली की रात महिलाएं सूप पीटने की परंपरा निभाती हैं।
दिवाली भारत का सबसे प्रमुख त्योहार है। लेकिन इसे देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह भगवान राम की अयोध्या वापसी की खुशी में मनाई जाती है।
छठ पूजा की शुरुआत होने में बस कुछ ही दिन बाकी हैं। ये वो समय होता है जब हम सूर्य देव की खास उपासना करते हैं। वैसे तो छठ पर्व खुशहाली और परिवार के कल्याण के लिए मनाया जाता है।
दीवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना कर उनसे धन-वैभव और सुख-शांति की कामना की जाती है।