नवीनतम लेख
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे,
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे ।
प्रथम धरे जो ध्यान तुम्हारो,
तिसके पूरण कारज सारे,
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे ।
लंबोदर गजवदन मनोहर,
कर त्रिशूल परशू वर धारे,
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे ।
ऋद्धि सिद्धि दोऊ चमर ढुलावे,
मूषक वाहन परम सुखारे,
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे ।
ब्रहादिक सुर ध्यावत मन में,
ऋषि मुनिगण सब दास तुम्हारे,
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे ।
ब्रह्मानंद सहाय करो नित
भक्तजनो के तुम रखवारे,
जय गणेश गणनाथ दयानिधि,
सकल विघन कर दूर हमारे ।
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।