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जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली - भजन (Jai Ho Jai Ho Tumhari Ji Bajrangbali)

जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली - भजन (Jai Ho Jai Ho Tumhari Ji Bajrangbali)

जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली

लेके शिव रूप आना गजब हो गया

त्रेतायुग में थे तुम आये द्वापर में भी

तेरा कलयुग में आना गजब गो गया ॥


बचपन की कहानी निराली बड़ी

जब लगी भूख हनुमत मचलने लगे

फल समझ कर उड़े आप आकाश में

तेरा सूरज को खाना गजब हो गया ॥


कूदे लंका में जब मच गयी खलबली

मारे चुनचुन कर असुरो को बजरंगबली

मारडाले अच्छो को पटककर वही

तेरा लंका जलाना गजब हो गया ॥


आके शक्ति लगी जो लखनलाल को

राम जी देख रोये लखनलाल को

लेके संजीवन बूटी पवन वेग से

पूरा पर्वत उठाना गजब हो गया ॥


जब विभीषण संग बैठे थे श्री राम जी

और चरनो में हाजिर थे हनुमान जी

सुन के ताना विभीषण का अंजनी के लाल

फाड़ सीना दिखाना गजब हो गया ॥


जय हो जय हो तुम्हारी जी बजरंग बली

लेके शिव रूप आना गजब हो गया

त्रेतायुग में थे तुम आये द्वापर में भी

तेरा कलयुग में आना गजब गो गया ॥

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लट्ठमार होली कैसे खेली जाती है

बरसाने में लट्ठमार होली फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस साल 8 मार्च को पड़ रही है। यह त्योहार राधा-कृष्ण के प्रेम की लीलाओं को दर्शाता है।

ब्रज की होली

होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

भारत में होली के अलग-अलग रंग

बरसाना और नंदगांव की होली विश्व प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए हर साल हजारों लोग यहां पहुंचते हैं। यह होली श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कथा से जुड़ी हुई है। बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल लेकर खुद को बचाने का प्रयास करते हैं।

होलिका दहन शुभ समय और भद्रा का साया

होली फेस्टिवल होलिका दहन के एक दिन बाद मनाया जाता है। हिंदू धर्म में इसका विशेष अर्थ है। बता दें कि होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और कई लोग होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जानते है।

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