जय हो तेरी गणराज गजानन ॥
दोहा – प्रथमें गौरा जी को वंदना,
द्वितीये आदि गणेश,
तृतीये सिमरा माँ शारदा,
मेरे काटो सकल कलेश ॥
जय हो तेरी गणराज गजानन,
जय हो तेरी गणराज,
प्रथम पूज्य तुम देव हो देवा,
देवो के महाराज,
जय हों तेरी गणराज गजानन,
जय हो तेरी गणराज ॥
सारी दुनिया में तुमसा,
ना दूजा कोई,
जो भी आशा करे,
पूरी तुमसे हुई,
मंगलकर्ता विघ्नहरैया,
पूरण करते काज,
जय हों तेरी गणराज गजानन,
जय हो तेरी गणराज ॥
मांगे दर से तुम्हारे,
तो सब कुछ मिले,
सबका आँगन,
खुशी से है फुले फले,
तीनो लोक के स्वामी हो तुम,
देवो के सरताज,
जय हों तेरी गणराज गजानन,
जय हो तेरी गणराज ॥
जय हों तेरी गणराज गजानन,
जय हो तेरी गणराज,
प्रथम पूज्य तुम देव हो देवा,
देवो के महाराज,
जय हों तेरी गणराज गजानन,
जय हो तेरी गणराज ॥
मोहनी मुरति साँवरी सूरति,
आइ बसौ इन नैनन में ।
मोको कहां ढूंढे रे बंदे,
मैं तो तेरे पास में ।
अनंग त्रयोदशी व्रत में भगवान शिव-पार्वती तथा कामदेव और रति का पूजन किया जाता है। यह दिन प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना गया है। क्योंकि, इस दिन व्रत रखने से जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।
जो कुछ है सब तोय,
तेरा तुझको सौंप दूँ,