जय जय देवा जय गणपति देवा (Jai Jai Deva Jai Ganpati Deva)

जय जय देवा जय गणपति देवा,

माता है गौरी पिता महादेवा,

मूषक आपकी सवारी है देवा,

माता है गौरी, पिता महादेवा,

जय जय देवा ॥


एक दन्त दयावन्त चार भुजाधारी,

लड्डुअन का भोग लगे मूसे की सवारी,

भोग लगता मोदक और मेवा,

माता है गौरी पिता महादेवा,

जय जय देवा ॥


सबसे पहले होता है आपका पूजन,

गणपति बप्पा पुकारे सारे भक्तजन,

ऋषि मुनि संत भक्त करे सेवा,

माता है गौरी पिता महादेवा,

जय जय देवा ॥


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अथ दुर्गाद्वात्रिंशन्नाममाला (Ath Durgadwatrishanmala)

श्री दुर्गा द्वात्रिंशत नाम माला" देवी दुर्गा को समर्पित बत्तीस नामों की एक माला है। यह बहुत ही प्रभावशाली स्तुति है। मनुष्य सदा किसी न किसी भय के अधीन रहता है।

करवा चौथ व्रत कथा (Karva Chauth Vrat Katha)

एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई व बहन एक साथ बैठकर भोजन करते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ का व्रत आया तो भाई बोला कि बहन आओ भोजन करें।

भोले बाबा से जिनका सम्बन्ध है (Bhole Baba Se Jinka Samband Hai)

भोले बाबा से जिनका सम्बन्ध है,
उनके घर में आनंद ही आनंद है ॥

दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया(Data Ek Ram Bhikhari Sari Duniya)

दाता एक राम,
भिखारी सारी दुनिया ।

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