जय जय गणराज मनाऊँ,
चरणों में शीश नवाऊं,
जब तक सांसे हैं तन में,
तेरा ही ध्यान लगाऊं,
गजानन्द जी हमारे घर आओ,
बुलाते है चले आओ ॥
बड़े भाग हमारे बाबा,
जो शुभ दिन ये आया है,
बैठे है तुम्हारे दर पर,
प्रभु तेरी ही माया है,
हमने प्रभु आस लगाई,
चंदन चौकी बिछवाई,
रूखे सूखे फल मेवा,
निज मन की ज्योत जलाई,
गजानन्द जी हमारे घर आओ,
बुलाते है चले आओ ॥
देवो के महाराजा,
तुम जल्दी से आ जाना,
रिद्धि सिद्धि संग बाबा,
शिव गौरा को ले आना,
ब्रह्मा विष्णु को लाना,
संग रामसिया को लाना,
राधे कृष्णा गोकुल से,
हनुमान को भी बुलवाना,
गजानन्द जी हमारे घर आओ,
बुलाते है चले आओ ॥
शुभ अवसर आंगन में,
सब विघ्न हरो हे देवा,
आकर मंगल कर दो,
हम करते तेरी सेवा,
जो भी आशा है मन में,
आकर पूरी अब कर दो,
खोया है ‘मुकेश’ भजन में,
उसकी पीड़ा सब हर दो,
गजानन्द जी हमारे घर आओ,
बुलाते है चले आओ ॥
जय जय गणराज मनाऊँ,
चरणों में शीश नवाऊं,
जब तक सांसे हैं तन में,
तेरा ही ध्यान लगाऊं,
गजानन्द जी हमारे घर आओ,
बुलाते है चले आओ ॥
दिसंबर माह वर्ष का अंतिम महीना होने के साथ-साथ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस महीने मार्गशीर्ष और पौष के कई व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे।
हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि का देवता माना जाता है। इस दिन पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा और व्रत किया जाता है।
कृष्ण कन्हैया बंसी बजैया,
नंदलाला घनश्याम रे,
क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,
अब तक के सारे अपराध