जय महाकाल जय महाकाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जो पाप ताप का हरता है,
जो युग परिवर्तन करता है,
माँ आदिशक्ति को साथ लिए,
जो बदल रहा है सृष्टि चाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
जिसने सोतो को जगा दिया,
जागों को जिसने चला दिया,
चलतो को जिसने दौड़ाया,
निष्ठा को दी प्रेरक उछाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
छल द्वेष दंभ को दूर करो,
सद्कर्मों का उत्थान करो,
सब भेद विषमता नष्ट करो,
है दुष्ट विनाशक महाज्वाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
आओ देवत्व जगाने को,
धरती को स्वर्ग बनाने को,
अपनत्व सभी में विकसा दो,
है सज्जन के मानस मराल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
सद्भाव और सद्ज्ञान भरो,
सत्कर्मों का उत्थान करो,
प्रज्ञा प्रकाश जग में भरदो,
उज्जवल भविष्य की के मशाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
तुम हो अनादि तुम ही अन्नत,
तुमसे प्रेरित यह दीगंदिगंत,
परिवर्तन के आधार तुम्ही,
तुमसे प्रेरित यह जग विशाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
जय महाकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जो पाप ताप का हरता है,
जो युग परिवर्तन करता है,
माँ आदिशक्ति को साथ लिए,
जो बदल रहा है सृष्टि चाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महांकाल जय महांकाल ॥
संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर पितरों को तृप्ति मिलती है, और वे अपनी संतानों को धन-धान्य और खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष कहते हैं। इस दौरान पूर्वजों का श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार श्रद्धा भाव से विधि-विधानपूर्वक किया जाता है।
सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।
माता शबरी रामायण की एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जिन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना जीवन समर्पित किया था। शबरी ने भगवान राम और माता सीता की प्रतीक्षा में वर्षों तक वन में निवास किया था।