जम्मू में माँ मात वैष्णो,
कलकत्ते में काली,
सब की विनती सुनती है,
मेरी मैया शेरोवाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ ॥
रूप अनेको माँ के ये बताऊँ मैं,
जहाँ भी देखूं मैया को ही पाऊं मैं,
मैया का हर द्वार है सच्चा,
जानता हर बच्चा बच्चा,
कही चामुंडा कही पे ज्वाला,
कही पे झंडे वाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ ॥
सच्चे दिल से जो माँ के दर आता है,
जीवन में वो कभी नहीं दुःख पाता है,
गुण गाओ चाहे करोली,
खुशियों से भरती है झोली,
माँ के दर से आज तलक,
कोई लौटा नहीं है खाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ ॥
‘भीमसेन’ बेशक प्यारे आजमा ले तू,
माँ के दर पे सोया भाग्य जगा ले तू,
माँ बेटे का निर्मल नाता,
क्यों ना तेरी समझ में आता,
ममता माँ के भक्तो की तो,
मनती रोज दिवाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ ॥
जम्मू में माँ मात वैष्णो,
कलकत्ते में काली,
सब की विनती सुनती है,
मेरी मैया शेरोवाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ ॥
चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला और अत्यंत पावन महीना है, जिसे भक्ति, साधना और आराधना का प्रतीक माना जाता है। इस महीने से न केवल हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है, बल्कि प्रकृति में भी बदलाव दिखाई देता है।
आम तौर पर नए साल की शुरुआत 1 जनवरी को होती है। लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को होती है। इस बार यह तिथि 30 मार्च को पड़ेगी। बता दें कि हिंदू कैलेंडर, आम कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है, जिसे विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है।
पंचांग के अनुसार, आज कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ मंगलवार पड़ रहा है। व्याघात योग आमतौर पर इस दिन ज्यादातर कामों को प्रोत्साहित नहीं करता है, क्योंकि यह ज्योतिष के अशुभ प्रभाव में है।
हिंदू धर्म में उपनयन संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"। इस अनुष्ठान से बालक को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।