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जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ (Japte Raho Subah Shaam Bholenath)

जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ (Japte Raho Subah Shaam Bholenath)

जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ,

जग में साँचा तेरा नाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ ॥


सांझ सवेरे भोलेनाथ के,

मंत्र का कर लो सुमिरन,

इनके सुमिरन से कटती है,

जीवन की हर उलझन,

कर दो मुश्किल सभी,

आसान भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ ॥


श्रष्टि के कण कण में केवल,

शिव का रूप समाया,

शिव के रूप की महिमा कोई,

जान कभी नहीं पाया,

तीनो लोको में सबसे,

महान भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ ॥


अम्बर जैसी ऊंचाई है और,

सागर सी गहराई,

शिव शंकर के नाम में तो है,

सारी सृष्टि समाई,

सारी सृष्टि का रखते है,

ध्यान भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ ॥


सबके कष्ट मिटाते है ये,

सबके काम बनाते,

उसको कष्ट नहीं आते,

जो इनके नाम को ध्याते,

सदा भक्तो का करते,

कल्याण भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ ॥


जपते रहो सुबह शाम भोलेनाथ,

जग में साँचा तेरा नाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ,

जपते रहों सुबह शाम भोलेनाथ ॥


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दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कणामृताय शशिशेखरधारणाय ।

शिव स्तुति: आशुतोष शशाँक शेखर

आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥

शम्भु स्तुति - नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं (Shambhu Stuti - Namami Shambhu Purusham Puranam)

नमामि शम्भुं पुरुषं पुराणं
नमामि सर्वज्ञमपारभावम् ।

श्री भगवत गीता चालीसा (Shri Bhagwat Geeta Chalisa)

प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||
गीत सुनाऊँ अद्भुत यार | धारण से हो बेड़ा पार ||२||

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