जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है
अभी हमने जी भर के देखा नहीं है ॥
कैसी घड़ी आज जीवन की आई ।
अपने ही प्राणो की करते विदाई ।
अब ये अयोध्या हमारी नहीं है ॥
माता कौशल्या की आंखों के तारे।
दशरथ जी के राज दुलारे ।
कभी ये अयोध्या को भुलाना नहीं है ॥
जाओ प्रभु अब समय हो रहा है।
घरों का उजाला भी कम हो रहा है ।
अंधेरी निशा का ठिकाना नहीं है ॥
काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी।
खेल तेरे हैं निराले, शिव शंकर त्रिपुरारी।
हे माँ, हे माँ, हे माँ, हे माँ
मात ज्वाला कर उजियाला,
तेरी ज्योत जगाऊँ,
मदन गोपाल शरण तेरी आयो,
चरण कमल की सेवा दीजै,