जरा इतना बता दे कान्हा,
कि तेरा रंग काला क्यों ।
श्लोक- श्याम का काला बदन,
और श्याम घटा से काला,
शाम होते ही,
गजब कर गया मुरली वाला ॥
जरा इतना बता दे कान्हा,
कि तेरा रंग काला क्यों,
तु काला होकर भी जग से,
इतना निराला क्यों ॥
मैंने काली रात में जन्म लिया,
और काली गाय का दूध पीया,
कजरे का रंग भी काला,
कमली का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥
सखी रोज़ ही घर में बुलाती है,
और माखन बहुत खिलाती है,
सखिओं का दिल भी काला,
इसी लिए मै काला ॥
मैंने काले नाग पर नाच किया,
और काले नाग को नाथ लिया,
नागों का रंग भी काला,
यमुना का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥
सावन में बिजली कड़कती है,
बादल भी बहुत बरसतें है,
बादल का रंग भी काला,
बिजली का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥
सखी नयनों में कजरा लगाती है,
और नयनों में मुझे बिठाती है,
कजरे का रंग भी काला,
नयनों का रंग भी काला,
इसी लिए मै काला ॥
जरा इतना बता दें कान्हा,
कि तेरा रंग काला क्यों,
तु काला होकर भी जग से,
इतना निराला क्यों ॥
भारत में भगवान चित्रगुप्त जी के कई प्रमुख मंदिर हैं। जिनमें पटना, गोरखपुर, कांचीपुरम और उज्जैन के मंदिर विशेष महत्व रखते हैं। ये मंदिर वास्तुकला, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक माने जाते हैं।
छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होने जा रहा है। यह 04 दिनों तक चलने वाला पर्व है। जो शुद्धता, संकल्प और यम- नियमों पर आधारित है।
छठ पूजा का पर्व आस्था, संयम और शुद्धता का प्रतीक है। इसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।