झाड़ो मोरछड़ी को लगवाले,
हो जासी कल्याण,
मोरछड़ी के माए विराजे,
खाटू वालो श्याम,
झाड़ो मोरछड़ी को लगवालें,
हो जासी कल्याण ॥
बहुत घणी सकलाई इ में,
दुनिया या बतलावे,
मोरछड़ी इक बार भी जी के,
माथे पर लहरावे,
मालामाल वो हो जावे,
संकट कटे तमाम,
झाड़ो मोरछड़ी को लगवालें,
हो जासी कल्याण ॥
मोरछड़ी ने थामे खाटू,
वालो श्याम बिहारी,
जइया विष्णु चक्र सुदर्शन,
मुरली कृष्ण मुरारी,
मोरछड़ी से करे है बाबा,
भगता को हर काम,
झाड़ो मोरछड़ी को लगवालें,
हो जासी कल्याण ॥
श्याम प्रभु की मोरछड़ी ने,
जो हाथां में ले कर,
कीर्तन माहि नाचे ‘सोनू’,
भक्त दीवानो हो कर,
खाटू वालो राखे विको,
तो जीवन भर ध्यान,
झाड़ो मोरछड़ी को लगवालें,
हो जासी कल्याण ॥
झाड़ो मोरछड़ी को लगवाले,
हो जासी कल्याण,
मोरछड़ी के माए विराजे,
खाटू वालो श्याम,
झाड़ो मोरछड़ी को लगवालें,
हो जासी कल्याण ॥
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है। साधु-संतों के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वहीं लोग बड़ी संख्या में संगम पर स्नान करने आने वाले हैं। लेकिन इसके साथ ऐसे भी कुछ श्रद्धालु होंगे, जो कल्पवास के लिए प्रयाग पहुंचेंगे।
कल्पवास की परंपरा हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस पंरपरा के मुताबिक व्यक्ति को एक महीने तक गंगा किनारे रहकर अनुशासित जीवनशैली का पालन करना होता है। यह एक तरह का कठिन तप माना गया है।
कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण कल्पवास होगा। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो माघ मास में किया जाता है।
सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है।