संकट काटे पलभर में ये,
भक्तों सारे जहान का,
झंडा हनुमान का,
सालासर धाम का ॥
बालाजी की लाल ध्वजा की,
महिमा अपरम्पार है,
इस झंडे को जो भी थामे,
मिलता इनका प्यार है,
नाम लिखा है इसके ऊपर,
नाम लिखा है इसके ऊपर,
जगत पिता श्री राम का,
झंडा हनुमान का,
सालासर धाम का ॥
जिसके घर में लाल ध्वजा ये,
फर फर कर लहराती है,
उस घर में फिर सारी खुशियां,
दौड़ी दौड़ी आती है,
उस परिवार पे पहरा रहता,
उस परिवार पे पहरा रहता,
वीर बलि बलवान का,
झंडा हनुमान का,
सालासर धाम का ॥
लाल लंगोटा हाथ में सोटा,
हनुमत की पहचान है,
राम नाम का है मतवाला,
सीने में सियाराम है,
राम की धून में नाचे ‘सोनू’,
राम की धून में नाचे ‘सोनू’,
दीवाना इस नाम का,
झंडा हनुमान का,
सालासर धाम का ॥
संकट काटे पलभर में ये,
भक्तों सारे जहान का,
झंडा हनुमान का,
सालासर धाम का ॥
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।
हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है जो दो लोगों के साथ-साथ दो परिवारों को भी जोड़ता है। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि शादी एक पवित्र रिश्ता है और इसे हमेशा शुभ समय पर किया जाना चाहिए। विवाह के लिए शुभ समय और तारीख का निर्धारण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।
साल 2025 में अपने नन्हे मेहमान के आगमन के साथ आप उनके नामकरण संस्कार की तैयारी में जुट गए होंगे। यह एक ऐसा पल है जो न केवल आपके परिवार के लिए बल्कि आपके बच्चे के भविष्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि और मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह दोनों तिथियां भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।