झूला पड्यो है कदम्ब की डार (Jhula Padyo Hai Kadamb Ki Daar)

झूला पड्यो है कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी,

ब्रज नारी रे ब्रज नारी,

ब्रज नारी सखियाँ सारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


रेशम की सखी डोरी पड़ी है,

मोतियन से कैसी पटरी जड़ी है,

वा में बैठे युगल सरकार,

झुलावे ब्रज नारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


मधुर मधुर श्याम बंसी बजावत,

बंसी बजावत रस बरसावत,

नन्ही नन्ही पड़त है फुहार,

झुलावे ब्रज नारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


श्याम राधिका झूला झूले,

गोपी ग्वाल देखे फुले,

सब गावत है मल्हार,

झुलावे ब्रज नारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥


झूला पड्यो है कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी,

ब्रज नारी रे ब्रज नारी,

ब्रज नारी सखियाँ सारी,

झूला पड्यो हैं कदम्ब की डार,

झुलावे ब्रज नारी ॥

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मेरो खोय गयो बाजूबंद (Mero Khoy Gayo Bajuband)

उधम ऐसो मच्यो बृज में,
सब केसर उमंग मन सींचे,

झूलेलाल जयंती क्यों और कैसे मनाए

झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।

गुरु पूर्णिमा की रोचक कथा

वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह पूर्णिमा तिथि आती है, और इस दिन व्रत का विधान होता है। हालांकि, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

प्रभु रामचंद्र के दूता (Prabhu Ramachandra Ke Dootha)

प्रभु रामचंद्र के दूता,
हनुमंता आंजनेया ।

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