झुमर झलके अम्बा ना, गोरा गाल पे रे(Jhumar Jhalke Amba Na Gora Gaal Pe Re)

झूमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे,

गोरा गाल पे रे,

लम्बा बाल पे रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

कुम्हारा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

दीवड़ा लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

सोनीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

झांझरिया लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

जोशीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

चुंदड़ी लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

मालीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

गजरा लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

ढोलीड़ा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

ढोल वगाडजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


ऐ भई रे भई रे,

वणजारा तने विनवु रे,

म्हारी माता सारू,

चुड़ला लई आवजो रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥


झूमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे,

गोरा गाल पे रे,

लम्बा बाल पे रे,

झुमर झलके अम्बा ना,

गोरा गाल पे रे ॥

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ब्रह्मा चालीसा (Brahma Chalisa)

जय जय कमलासान जगमूला, रहहू सदा जनपै अनुकूला ।

कावड़ियां ले चल गंग की धार (Kawadiya Le Chal Gang Ki Dhar)

कावड़िया ले चल गंग की धार ॥

2025 की पहली मासिक दुर्गाष्टमी कब है

मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन मां भगवती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

बसंत पंचमी के दिन क्या करें, क्या नहीं

बसंत पंचमी का पर्व जो कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। यह त्योहार ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए विशेष है जो कि वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है।

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