जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा(Jindagi Me Hajaro Ka Mela Juda)

जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,

हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।

काल से बच ना पाएगा छोटा बड़ा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


ठाट सारे पड़े के पड़े रह गये,

सारे धनवा गढ़े के गढ़े रेह गये,

अन्त मे लखपति को ना ढेला मिला,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


बेबसो को सताने से क्या फायदा,

झूठ अपजस कमाने से क्या फायदा,

दिल किसी का दुखाने से क्या फायदा,

नीम के सथ जेसे करेला जुड़ा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


राज राजे रहे, ना वो रानी रही,

ना बुढ़ापा रहा, ना जवानी रही,

ये तो कहने को केवल कहानी रही,

चार दिन का जगत मे झमेला रहा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥


जिंदगी में हजारों का मेला जुड़ा,

हंस जब-जब उड़ा तब अकेला उड़ा ।

काल से बच ना पाएगा छोटा बड़ा,

हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा ॥

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चैत्र अमावस्या पर करें पितृ सूक्त पाठ

हिंदू धर्म में चैत्र मास की अमावस्या का विशेष महत्व माना गया है। यह दिन पूर्वजों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और तर्पण करने के लिए शुभ माना जाता है।

गणपति आयो बापा, रिद्धि सिद्धि लायो (Ganpati Aayo Bapa Riddhi Siddhi Layo)

गणपति आयो बापा,
रिद्धि सिद्धि लायो,

मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना (Mujhe Ras Agaya Hai Tere Dar Pe Sar Jhukana)

मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना ।

श्री शनिवार व्रत कथा

एक समय समस्त प्राणियों का हित चाहने वाले मुनियों ने नैमिषारण्य बन में एक सभा की उस समय व्यास जी के शिष्य सूत जी शिष्यों के साथ श्रीहरि का स्मरण करते हुए वहाँ पर आये।

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