जिसने भी है सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया,
खुश होकर के शिव भोले ने,
मनचाहा वरदान दिया,
जिसने भी हैं सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया ॥
सब देवों में देव निराला,
मेरा डमरू वाला है,
सौ बातों की एक बात ये,
भक्तो का रखवाला है,
भक्तो का हर काम प्रभु ने,
पल में तुरत संवार दिया,
खुश होकर के शिव भोले ने,
मनचाहा वरदान दिया,
जिसने भी हैं सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया ॥
देवों को अमृत मंथन में,
हिरे मोती लुटा दिए,
जब विष की बारी आई तो,
उसको कैसे कौन पिए,
नीलकंठ था नाम पड़ा तेरा,
जब तुमने विषपान किया,
खुश होकर के शिव भोले ने,
मनचाहा वरदान दिया,
जिसने भी हैं सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया ॥
भांग धतूरा खाकर भोला,
पर्वत ऊपर वास करे,
संग विराजे पार्वती माँ,
जो भक्तो के कष्ट हरे,
शिवशक्ति के सुमिरण ने,
भक्तो का बेड़ा पार किया,
खुश होकर के शिव भोले ने,
मनचाहा वरदान दिया,
जिसने भी हैं सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया ॥
जिसने भी है सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया,
खुश होकर के शिव भोले ने,
मनचाहा वरदान दिया,
जिसने भी हैं सच्चे मन से,
शिव भोले का ध्यान किया ॥
महाकुंभ के अमृत स्नान की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक यह भव्य महाकुंभ चलेगा। धार्मिक मान्यता है कि 144 सालों बाद इस तरह का शुभ योग इस बार के महाकुंभ में बना है।
महाकुंभ का पहला अमृत स्नान पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्र में आरंभ हो चुका है। प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी के पूजन के उपरांत नागा साधु शिव के स्वरूप में खुद को सजा चुके हैं।
13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में इस बार कई अनोखी चीजें देखने को मिल रही हैं। संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में देश-विदेश से हजारों संत पहुंचे हैं। बता दें कि इस बार के महाकुंभ में ऐसी कई चीजें लोगों को पहली बार देखने को मिली हैं।
महाकुंभ, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह एक ऐसा धार्मिक समागम है जिसके लिए करोड़ों लोग देश-विदेश से आते हैं।