जिसने दी है मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है,
जिससे परिवार मेरा खुशहाल,
वो अंजनी का लाला है,
जिसने दी हैं मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है ॥
सालासर दरबार निराला,
यहाँ कटता है संकट सारा,
जो सुने भक्तो की फरियाद,
वो अंजनी का लाला है,
वो अंजनी का लाला है,
जिसने दी हैं मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है ॥
कोई भक्त नहीं है ऐसा,
मेरे बालाजी के जैसा,
जिनके ह्रदय में है श्री राम,
वो राम जी का प्यारा है,
वो अंजनी का लाला है,
जिसने दी हैं मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है ॥
ये दुनिया मतलब की साथी,
बालाजी बस साथ निभासी,
जिनके चरणों में जाऊं बलिहार,
वो बजरंग बाला है,
वो अंजनी का लाला है,
जिसने दी हैं मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है ॥
मुश्किल घड़ियों में साथ निभाता,
जो बाबा को अरदास लगाता,
ऐसे महावीर से प्रीति लगा,
की होगा तेरा बेडा पार,
बालाजी करेंगे उद्धार,
जिसने दी हैं मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है ॥
जिसने दी है मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है,
जिससे परिवार मेरा खुशहाल,
वो अंजनी का लाला है,
जिसने दी हैं मुझे पहचान,
वो अंजनी का लाला है ॥
जया एकादशी का दिन बहुत ही पावन माना जाता है। इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 08 फरवरी को मनाई जाएगी।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। माघ मास की जया एकादशी जल्द ही आने वाली है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।
माघ मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। इसे तिल द्वादशी भी कहते हैं। भीष्म द्वादशी को माघ शुक्ल द्वादशी नाम से भी जाना जाता है।