जिसने दी है मुझे पहचान, वो अंजनी का लाला है (Jisne Di Hai Mujhe Pahchan Vo Anjani Ka Lala Hai)

जिसने दी है मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है,

जिससे परिवार मेरा खुशहाल,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


सालासर दरबार निराला,

यहाँ कटता है संकट सारा,

जो सुने भक्तो की फरियाद,

वो अंजनी का लाला है,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


कोई भक्त नहीं है ऐसा,

मेरे बालाजी के जैसा,

जिनके ह्रदय में है श्री राम,

वो राम जी का प्यारा है,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


ये दुनिया मतलब की साथी,

बालाजी बस साथ निभासी,

जिनके चरणों में जाऊं बलिहार,

वो बजरंग बाला है,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


मुश्किल घड़ियों में साथ निभाता,

जो बाबा को अरदास लगाता,

ऐसे महावीर से प्रीति लगा,

की होगा तेरा बेडा पार,

बालाजी करेंगे उद्धार,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


जिसने दी है मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है,

जिससे परिवार मेरा खुशहाल,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥

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गोपाल गोकुल वल्लभे, प्रिय गोप गोसुत वल्लभं(Gopal Gokul Valbhe Priya Gop Gosut Valbham)

गोपाल गोकुल वल्लभे,
प्रिय गोप गोसुत वल्लभं ।

डमक डम डमरू रे बाजे (Damak Dam Damroo Re Baje)

डमक डम डमरू रे बाजे,
चन्द्रमा मस्तक पर साजे,

जीमो जीमो साँवरिया थे (Jeemo Jeemo Sanwariya Thye)

जीमो जीमो साँवरिया थे,
आओ भोग लगाओ जी,

7 अक्टूबर को पड़ रही है उपांग ललिता पंचमी 2024, कौन से हैं पूजा के शुभ मूहूर्त, क्या पूजा विधि और व्रत के लाभ

उपांग ललिता पंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

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