जो भी भला बुरा है,
श्री राम जानते है,
बन्दे के दिल में क्या है,
मेरे राम जानते है,
जो भी भला बुरा हैं,
श्री राम जानते है ॥
आता कहाँ से कोई,
जाता कहाँ है कोई,
आता कहाँ से कोई,
जाता कहाँ है कोई,
युग युग से इस गति को,
मेरे राम जानते है,
जो भी भला बुरा हैं,
श्री राम जानते है ॥
नेकी बदी को अपनी,
जितना भी हम छुपा ले,
नेकी बदी को अपनी,
जितना भी हम छुपा ले,
श्री राम को पता है,
मेरे राम जानते है,
जो भी भला बुरा हैं,
श्री राम जानते है ॥
किस्मत के नाम को तो,
सब जानते है लेकिन,
किस्मत के नाम को तो,
सब जानते है लेकिन,
किस्मत में क्या लिखा है,
मेरे राम जानते है,
जो भी भला बुरा हैं,
श्री राम जानते है ॥
जो भी भला बुरा है,
श्री राम जानते है,
बन्दे के दिल में क्या है,
मेरे राम जानते है,
जो भी भला बुरा हैं,
श्री राम जानते है ॥
काशी के राजा भगवान विश्वनाथ और कोतवाल भगवान काल भैरव की जोड़ी हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
शास्त्रों में भगवान काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी की पूजा का विधान है। इसी लिए विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता गणेश जी को समर्पित गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि का बनी रहती है।