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जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे (Jo Shiv Naam Hothon Pe Chadh Gayo Re)

जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे (Jo Shiv Naam Hothon Pe Chadh Gayo Re)

जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


मन में बसा ले तू शिव का शिवाला,

साथ चलेगा तेरे डमरू वाला,

जो मन शिव की भक्ति में रम गयो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


जग की ये माया बड़ी उलझाए,

पाप कर्म भक्ति के आड़े आवे,

जो शिवजी ने हाथ सिर पे धर दियो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


बम बम बासुकी का नाम बड़ा प्यारा,

नाम ने लाखो को पार उतारा,

जो भोलेनाथ ने हाथ पकड़ लियो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥


जो शिव नाम होठों पे चढ़ गयो रे,

तो समझो ये जीवन संवर गयो रे ॥

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चाय पर जिंदा महाकुंभ में आए 'पयहारी बाबा'

महाकुंभ, संतों और साधुओं का सबसे बड़ा समागम, हमेशा से अनोखे लोगों का गवाह रहा है। इनमें से एक हैं, मौनी बाबा, जिनका जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। बुंदेलखंड के महोबा से आए मौनी बाबा का नाम आजकल हर जगह सुनाई दे रहा है।

महाकुंभ में आए टार्जन बाबा की कहानी

यूपी के प्रयागराज में संगम नगरी में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, महाकुंभ, आयोजित होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

महाकुंभ में आए चाबी वाले बाबा की कहानी

आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह से तैयार है। देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर लगातार आगमन हो रहा है। इस विशाल धार्मिक आयोजन में हरिश्चंद्र विश्वकर्मा, जिन्हें चाबी वाले बाबा के नाम से जाना जाता है, विशेष ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

सिर पर फसल उगाकर तपस्या करने वाले बाबा

महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।

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