काले काले बदरा, घिर घिर आ रहे है (Kaale Kaale Badra Ghir Ghir Aa Rahe Hai)

काले काले बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

ऐ जी झूला डालो,

हम्बे झूला डालो,

कदम्ब की डाल,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

लम्बे लम्बे झोटा,

राधा रानी ले रही है,

ऐ जी कोई नन्ही नन्ही,

हम्बे कोई नन्ही नन्ही,

परत फुहार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


झूला पे मोहन,

श्यामा संग झूलते जी,

ऐ जी गोपी गाती है,

हम्बे गोपी गाती है,

राग मल्हार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


चंपा चमेली जूही,

मोगरा खिल रहे जी,

ऐ जी कोई शीतल,

ऐ जी कोई शीतल,

चलत बयार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


कदम्ब की डाली काली,

कोयलिया गा रही जी,

ऐ जी दादुर पपिहन की,

ऐ जी दादुर पपिहन की,

सुरीली मस्त पुकार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


राधा की पायल कान्हा की,

बंसी बज रही,

ऐ जी दास प्रेमी के,

ऐ जी दास प्रेमी के,

लड़ी है अखियाँ चार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


काले काले बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

ऐ जी झूला डालो,

हम्बे झूला डालो,

कदम्ब की डाल,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

लम्बे लम्बे झोटा,

राधा रानी ले रही है,

ऐ जी कोई नन्ही नन्ही,

हम्बे कोई नन्ही नन्ही,

परत फुहार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


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गणेश जयंती के उपाय

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ब्रज की होली

होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

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