कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
तुम राम रूप में आना,
तुम राम रूप में आना
सीता साथ लेके,
धनुष हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
तुम श्याम रूप में आना,
तुम श्याम रूप में आना,
राधा साथ लेके,
मुरली हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
तुम शिव के रूप में आना,
तुम शिव के रूप में आना,
गौरा साथ लेके,
डमरू हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
तुम विष्णु रूप में आना,
तुम विष्णु रूप में आना,
लक्ष्मी साथ लेके,
चक्र हाथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
तुम गणपति रूप में आना,
तुम गणपति रूप में आना
रिद्धि साथ लेके,
सिद्धि साथ लेके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
कभी राम बनके कभी श्याम बनके,
चले आना प्रभुजी चले आना ॥
चैत्र नवरात्रि हिंदू नव वर्ष के साथ आती है और इसे विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। पंचांग के अनुसार, 2025 में चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू होकर 7 अप्रैल तक चलेगी।
शारदीय नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा की जाती है और यह शक्ति साधना का पर्व है। इस दौरान भक्तजन उपवास रखते हैं और विजयादशमी पर उत्सव मनाया जाता है।
सनातन धर्म में गुरु ही हमें सही और गलत की समझ देते हैं और अच्छे-बुरे का अंतर सिखाते हैं। गुरुओं की महत्ता हमारी संस्कृति में सदियों से रही है। यहां तक कि गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा प्राप्त है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह पूर्णिमा तिथि आती है, और इस दिन व्रत का विधान होता है। हालांकि, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली पूर्णिमा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।