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कैसी यह देर लगाई दुर्गे... (Kaisi Yeh Der Lagayi Durge)

कैसी यह देर लगाई दुर्गे... (Kaisi Yeh Der Lagayi Durge)

कैसी यह देर लगाई दुर्गे, हे मात मेरी हे मात मेरी।


भव सागर में घिरा पड़ा हूँ, काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ।

मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ, हे मात मेरी हे मात मेरी॥


ना मुझ में बल है, ना मुझ में विद्या, ना मुझ ने भक्ति ना मुझ में शक्ति।

शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ, हे मात मेरी हे मात मेरी॥


ना कोई मेरा कुटुम्भ साथी, ना ही मेरा शरीर साथी।

आप ही उभारो पकड़ के बाहें, हे मात मेरी हे मात मेरी॥


चरण कमल की नौका बना कर, मैं पार हूँगा ख़ुशी मना कर।

यम दूतों को मार भगा कर, हे मात मेरी हे मात मेरी॥


सदा ही तेरे गुणों को गाऊं, सदा ही तेरे सरूप को धयाऊं।

नित प्रति तेरे गुणों को गाऊं, हे मात मेरी हे मात मेरी॥


ना मैं किसी का ना कोई मेरा, छाया है चारो तरफ अँधेरा।

पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता, हे मात मेरी हे मात मेरी॥


शरण पड़े हैं हम तुम्हारी, करो यह नैया पार हमारी।

कैसी यह देरी लगाई है दुर्गे, हे मात मेरी हे मात मेरी॥

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तुम रूठे रहो मोहन (Tum Ruthe Raho Mohan)

तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुम्हे मना लेंगे,

तुम शरणाई आया ठाकुर(Tum Sharnai Aaya Thakur)

तुम शरणाई आया ठाकुर
तुम शरणाई आया ठाकुर ॥

तुम उठो सिया सिंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है (Tum Utho Siya Singar Karo Shiv Dhanush Ram Ne Toda Hai)

तुम उठो सिया सिंगार करो,
शिव धनुष राम ने तोड़ा है,

तुम्हारी जय हो वीर हनुमान(Tumhari Jai Ho Veer Hanuman Bhajan)

तुम्हारी जय हो वीर हनुमान,
ओ रामदूत मतवाले हो बड़े दिल वाले,

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