कान्हा मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है,
जन्मों जनम तक ये,
जन्मों जनम तक ये,
अब रिश्ता निभाना है,
कान्हां मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है ॥
बैठा बैठा क्या सोचे,
पकड़ ले कलैया रे,
झूठे जग के झमेले में,
खो न जाऊं मैं भैया रे,
बनके खिवैया तुझे,
बनके खिवैया तुझे,
परली पार ले जाना है,
जन्मों जनम तक ये,
अब रिश्ता निभाना है,
कान्हां मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है ॥
रेशम की डोरी का,
मान तुझे रखना है,
मैं ना कहूं कुछ भी,
तुझको समझना है,
भूल से भी भूल मुझसे,
भूल से भी भूल मुझसे,
तुझको ना कराना है,
जन्मों जनम तक ये,
अब रिश्ता निभाना है,
कान्हां मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है ॥
जिस राह पे ‘अर्चू’ चले,
वो राह अनजानी है,
थामकर उंगली मेरी,
तुझे राह दिखानी है,
बनके उजाला तुझे,
बनके उजाला तुझे,
ये अँधेरा मिटाना है,
जन्मों जनम तक ये,
अब रिश्ता निभाना है,
कान्हां मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है ॥
कान्हा मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है,
जन्मों जनम तक ये,
जन्मों जनम तक ये,
अब रिश्ता निभाना है,
कान्हां मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है ॥
नवरात्रि का पर्व उपासना का पर्व है। सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है।
गुप्त शब्द मतलब गोपनीय यानी छुपी हुई। एक ऐसी आराधना जिसमे माता की अलग तरह की तांत्रिक पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्र का पर्व बहुत ही शुभ माना जाता है। ये देवी दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा के लिए समर्पित है।