कान्हा तेरी कबसे,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
बांध ली कान्हा तोसे,
प्रीत की डोरी,
सुलझे ना मोसे अब,
उलझन मोरी,
हरदम याद सताती है,
अखियां जल बरसाती है,
कान्हा तेरी कब से,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
होके तेरी सुख,
चैन गवाया,
इसके सिवा मैंने,
कुछ नहीं पाया,
मोहे बस तू मिल जाए रे,
चाहे सब कुछ छीन जाए रे,
कान्हा तेरी कब से,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
दिल में बिठाना चाहे,
चरणी लगाना,
अपने करीब पर,
दे दो ठिकाना,
ना तोसे दूर है जाना रे,
समझ ले इतना कान्हा रे,
कान्हा तेरी कब से,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
कान्हा तेरी कबसे,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। अगर व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ मां की पूजा करे तो मां उसे शक्ति प्रदान करती हैं।
दस महाविद्याओं की साधना करना बहुत ही कठिन है लेकिन यदि साधना सफल हो जाती है तो होता है चमत्कार। दस महाविद्याओं में से एक है माता ललिता।
माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
जया एकादशी का सनातन धर्म में खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जया एकादशी पर यहां दिए 5 उपायों को करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को सभी तरह के कष्टों से भी मुक्ति मिलती है।