कान्हा तेरी कबसे,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
बांध ली कान्हा तोसे,
प्रीत की डोरी,
सुलझे ना मोसे अब,
उलझन मोरी,
हरदम याद सताती है,
अखियां जल बरसाती है,
कान्हा तेरी कब से,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
होके तेरी सुख,
चैन गवाया,
इसके सिवा मैंने,
कुछ नहीं पाया,
मोहे बस तू मिल जाए रे,
चाहे सब कुछ छीन जाए रे,
कान्हा तेरी कब से,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
दिल में बिठाना चाहे,
चरणी लगाना,
अपने करीब पर,
दे दो ठिकाना,
ना तोसे दूर है जाना रे,
समझ ले इतना कान्हा रे,
कान्हा तेरी कब से,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
कान्हा तेरी कबसे,
बाट निहारूं,
बाट निहारू तुझे,
पल पल पुकारूँ ॥
सज धज के बैठी है माँ,
लागे सेठानी,
सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,
सजा दो उज्जैनी दरबार,
मेरे महाकाल आये है ॥
सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
भक्तों ने मिलकर के किया है,