कान्हा तेरी मुरली की,
जो धुन बज जाए,
ग्वाले नाचे गोपियाँ,
नाचे सारी टोलियाँ,
राधा नाचे झूम झूम,
कान्हा तेरीं मुरली की,
जो धुन बज जाए ॥
कुंज गली में जैसे,
बाजे बासुरिया,
दीवानी तैसे हुई,
ब्रज की नगरिया,
खींची चली जाए गोपी,
बन के बावरिया,
इत उत भागे बेसूध,
सारी गुजरिया,
कैसा जादूगर तू,
सांवला कन्हैया,
कान्हा तेरीं मुरली की,
जो धुन बज जाए ॥
मतवाली हो गई,
धुन सुन गैया,
बछड़ो को छोड़ भागी,
देखो सारी गैया,
जहाँ है कन्हैया,
वही सारी गैया,
थन से दूध,
बहाने लगी गैया,
यमुना नदी तो लागे,
दूध की नदियां,
कान्हा तेरीं मुरली की,
जो धुन बज जाए ॥
ममता की मारी देखो,
यशोमति मैया,
धुन सुन बंसी की,
व्याकुल हुई मैया,
माखन निकाले झट,
दही मथे मैया,
बेसुध बोले माखन,
खा ले रे कन्हैया,
कैसी तेरी लीला है,
जग के रचैया,
कान्हा तेरीं मुरली की,
जो धुन बज जाए ॥
कान्हा तेरी मुरली की,
जो धुन बज जाए,
ग्वाले नाचे गोपियाँ,
नाचे सारी टोलियाँ,
राधा नाचे झूम झूम,
कान्हा तेरीं मुरली की,
जो धुन बज जाए ॥
हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का विशेष महत्व है, हिंदू कैलेंडर के अनुसार ये तिथि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।
सौभाग्य सुंदरी तीज उत्तर भारत में विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो पारंपरिक हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष के तृतीया को मनाया जाता है।
मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला उत्पन्ना एकादशी का पर्व भगवान विष्णु और देवी एकादशी की आराधना का विशेष दिन है।
उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा मां एकादशी के जन्म से संबंधित है। इसमें ये बताया गया है कि उन्होंने भगवान विष्णु को एक राक्षस से कैसे बचाया। दरअसल सतयुग में एक मुरा नाम का एक राक्षस था।